हे माधव…
एक अनाम सा रिश्ता है
मेरे तुम्हारे दरमियाँ,,
शब्दों की सीमा में..
जिसे नहीं बांधा जा सकता,,
क्या नाम दूं इसे..
प्यार, प्रेम या फिर मेरी कल्पना,,
मेरा सभी कुछ तो हो…””तुम””
? जय श्री राधे कृष्णा?
हे माधव…
एक अनाम सा रिश्ता है
मेरे तुम्हारे दरमियाँ,,
शब्दों की सीमा में..
जिसे नहीं बांधा जा सकता,,
क्या नाम दूं इसे..
प्यार, प्रेम या फिर मेरी कल्पना,,
मेरा सभी कुछ तो हो…””तुम””
? जय श्री राधे कृष्णा?
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