एक चाहत होती है…
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है …कि मरना अकेले ही है!”
मित्रता एवं रिश्तेदारी *”सम्मान” की नही
“भाव” की भूखी होती है…
बशर्तें लगाव
“दिल” से होना चाहिए
“दिमाग” से नही.
?सुप्रभात ?
एक चाहत होती है अपनों के साथ
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एक चाहत होती है…
अपनों के साथ जीने की,
वरना पता तो हमें भी है …कि मरना अकेले ही है!”
मित्रता एवं रिश्तेदारी *”सम्मान” की नही
“भाव” की भूखी होती है…
बशर्तें लगाव
“दिल” से होना चाहिए
“दिमाग” से नही.
?सुप्रभात ?
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