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हे कैलाशपति??
कभी आओ मेरे पास तुम्हारे पांव दबा दूँ..!
मेरी सांसों में चलते चलते तुम भी थक गये होंगे..गंगा धारी
??मेरे भोलेनाथ
??इत्तर की खुशबू के जैसा, महकता है तेरा दरबार..
ऐसे ही खुशियों से महका दो, हम सभी का परिवार..
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हे कैलाशपति??
कभी आओ मेरे पास तुम्हारे पांव दबा दूँ..!
मेरी सांसों में चलते चलते तुम भी थक गये होंगे..गंगा धारी
??मेरे भोलेनाथ
??इत्तर की खुशबू के जैसा, महकता है तेरा दरबार..
ऐसे ही खुशियों से महका दो, हम सभी का परिवार..
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