कर्म के पास न कागज़ है

कर्म के पास
न कागज़ है, न किताब है;
लेकिन फिर भी,
सारे जगत का हिसाब है:
दुनिया के चार स्थान
कभी नहीं भरते
समुद्र
शमशान
तृष्णा
और मनुष्य का मन

सुबह की राम राम जी ??


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