*किसी नन्हे बच्चे की मुस्कान देख कर कवि ने क्या खूब लिखा है*
*”दौड़ने दो खुले मैदानों में,*
*इन नन्हें कदमों को साहब .!*
*जिंदगी बहुत तेज भगाती है,*
*बचपन गुजर जाने के बाद…!”*
*?Good morning?*
*किसी नन्हे बच्चे की मुस्कान देख कर कवि ने क्या खूब लिखा है*
*”दौड़ने दो खुले मैदानों में,*
*इन नन्हें कदमों को साहब .!*
*जिंदगी बहुत तेज भगाती है,*
*बचपन गुजर जाने के बाद…!”*
*?Good morning?*
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