कोई वादा ना कर
कोई इरादा ना कर
ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर
ये देगी उतना ही जितना लिख दिया
है रब ने
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर
जिन्दगी की हर सुबह???
कुछ शर्ते लेके आती है
और जिन्दगी की हर शाम
*कुछ तर्जुबे देके जाती है
?सु्प्रभात?
कोई वादा ना कर
कोई इरादा ना कर
ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर
ये देगी उतना ही जितना लिख दिया
है रब ने
इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर
जिन्दगी की हर सुबह???
कुछ शर्ते लेके आती है
और जिन्दगी की हर शाम
*कुछ तर्जुबे देके जाती है
?सु्प्रभात?
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