“कान्हा”
खुद चले आओ या हमको बुला लो
कि जिन्दगी अब तन्हा बसर नहीं होती
आँसुओं से भीगा रहता है दामन मेरा जाने क्यों तुमको खबर नहीं होती
~ राधे राधे ~
“कान्हा”
खुद चले आओ या हमको बुला लो
कि जिन्दगी अब तन्हा बसर नहीं होती
आँसुओं से भीगा रहता है दामन मेरा जाने क्यों तुमको खबर नहीं होती
~ राधे राधे ~
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