खुशी से बढ़ कर पौष्टिक
खुराक कोई भी नहीं है
दूसरों को खुशियाँ देना ही
सबसे बड़ा पुण्य का काम है
सुख में सौ मिले दुख में मिले न एक
साथ कष्ट में जो रहे साथी वही है नेक
क्रोध हवा का वह झोंका है जो
बुद्धि के दीपक को बुझा देता है
जिनकी भाषा में सभ्यता होती है
उनके जीवन में सदैव भव्यता होती है ? *सुप्रभात* ?
खुशी से बढ़ कर पौष्टिक
खुराक
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