??
? हे कान्हा…
चलें आओ ..अब कहाँ गुम हो,
कितनी बार कहू…
मेरे दर्द की दवा सिर्फ तुम हो..!!
धन्य हे तेरी बासुरी,
जो चखती है तेरे “अधरामृत” को….
व्याकुल कंठ मेरा तरसे,
जो तेरे “चरणामृत” को…!!
?? जय श्री ? राधे राधे जी ??
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? हे कान्हा…
चलें आओ ..अब कहाँ गुम हो,
कितनी बार कहू…
मेरे दर्द की दवा सिर्फ तुम हो..!!
धन्य हे तेरी बासुरी,
जो चखती है तेरे “अधरामृत” को….
व्याकुल कंठ मेरा तरसे,
जो तेरे “चरणामृत” को…!!
?? जय श्री ? राधे राधे जी ??
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