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छू जाते हो मुझे कितनी ही बार,
ख्वाब बनकर मेरे साईं राम…
ये दुनिया न जाने फिर फिर क्यों कहती है,
के तुम मेरे करीब नहीं,
मेरे साईं राम!
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छू जाते हो मुझे कितनी ही बार,
ख्वाब बनकर मेरे साईं राम…
ये दुनिया न जाने फिर फिर क्यों कहती है,
के तुम मेरे करीब नहीं,
मेरे साईं राम!
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