छोड़ पराये देश मोहे ,काहे भूल गयें सांवरिया
का भई मोसे भूल प्रितम ,जो की मोपे विछोह बदरिया
दासी क्षमा चाहती है प्रितम ,अब ले भी जाओ ना
मोहे अपने हृदय की नगरिया
आओ गोपाल तरस रहे नैना आओ नंद लाल बरस रहे नैना
आओ गोपाल आओ नंद लाल करुणा सागर दीन दयाल??
छोड़ पराये देश मोहे
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