???झुका रहे ये शीश सदा तेरे दरबार के आगे,
जब भी पुकारुं ह्रदय से सुलझे ये जिंदगी के सारे धागे..
कर्म करूँ अच्छे,रहूँ तेरे सत मार्ग पर,
यहीं माँगता रहूं मे सदा तेरे दरबार के आगे..।।???
???जय श्री श्याम ???
*
???झुका रहे ये शीश सदा तेरे दरबार के आगे,
जब भी पुकारुं ह्रदय से सुलझे ये जिंदगी के सारे धागे..
कर्म करूँ अच्छे,रहूँ तेरे सत मार्ग पर,
यहीं माँगता रहूं मे सदा तेरे दरबार के आगे..।।???
???जय श्री श्याम ???
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