नित नहाने हरि मिलें, तो जल जन्तु होई।
फल मूल खाकर हरि मिलें, तो बहुत बादुर बदराई॥
तृण खाकर हरि मिलें, तो बहुत मृगी अजा।
स्त्री छोड़कर हरि मिलें, तो बहुत रहे हैं खोजा॥
दूध पीकर हरि मिलें, तो बहु वत्स बाला।
मीरा कहे बिना प्रेम से, नहिं मिले नन्दलाला॥
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नित नहाने हरि मिलें
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