पिया तुम बूझो न
यह प्रीति पहेली
सुमिरन नहीं
तनिक भी रास न आए
कभी तुम प्रिय लगते
कभी तुम एक ज़रा न भाए
पिया तुम बूझो न
तुम्ही कहो
मन बिरहा में
बोलो, क्या क्या कर जाए
तुम हो मोहन
यह तड़पती बिरहन
तुम्हारे लिए
राधा बने
या जोगी मीरा बन जाए
पिया तुम बूझो न
कहाँ बिसर गए
किस देस गए
तुम्हें कितहुँ ढूँढन जाएँ
फिर कैसे
मनमाँ तुम विराज रहे
हम तुम्हें ही चहुँ ओर पाएँ
पिया तुम बूझो न
??जय श्री कृष्णा
पिया तुम बूझो न
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