*पूरी जिंदगी लगा दी…* *चाबी खोजने में….* *अंत में पता चला कि* *ताला क्या दरवाजे भी नहीं है…* *परमात्मा के घर में।।*
*भीतर शून्य बाहर शून्य !* *शून्य चारों ओर है l* *मैं नही हूँ मुझमे* *फिर भी “मैं , मैं ” *का ही शोर है l*
?सुप्रभात???
*पूरी जिंदगी लगा दी…* *चाबी खोजने में….* *अंत में पता चला कि* *ताला क्या दरवाजे भी नहीं है…* *परमात्मा के घर में।।*
*भीतर शून्य बाहर शून्य !* *शून्य चारों ओर है l* *मैं नही हूँ मुझमे* *फिर भी “मैं , मैं ” *का ही शोर है l*
?सुप्रभात???
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