फ़िक्र से आज़ाद थे और
खुशियाँ इक़ट्ठी होती थीं..।
वो भी क्या दिन थे,
जब अपनी भी
गर्मियों की छुट्टियां होती थी
जय श्री राम
फ़िक्र से आज़ाद थे और
खुशियाँ इक़ट्ठी होती थीं..।
वो भी क्या दिन थे,
जब अपनी भी
गर्मियों की छुट्टियां होती थी
जय श्री राम
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