बैठना भाईयों के बिच,
चाहें ‘बैर’ ही क्यों ना हो,
और
खाना माँ के हाथों का ही,
चाहें ‘जहर’ ही क्यों ना हो,
क्योंकि
इनसे ज्यादा प्रेम दुनिया में,
आपको कोई नहीं करता,
??प्रेम से बोलो राधे राधे??
??जय श्री कृष्णा??
बैठना भाईयों के बिच
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बैठना भाईयों के बिच,
चाहें ‘बैर’ ही क्यों ना हो,
और
खाना माँ के हाथों का ही,
चाहें ‘जहर’ ही क्यों ना हो,
क्योंकि
इनसे ज्यादा प्रेम दुनिया में,
आपको कोई नहीं करता,
??प्रेम से बोलो राधे राधे??
??जय श्री कृष्णा??
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