भक्त के जीवन में दो ही शब्द हैं
एक है “हरि कृपा”।
और
दूसरा है “हरि इच्छा”।
यदि अपने मन के अनुकूल है तो समझ लीजिए कि “हरि-कृपा”
और
जब मन के अनुकूल न हो तो “हरि-इच्छा”
.. जय श्री कृष्ण ????
शुभ रात्रि जी???
भक्त के जीवन में दो ही शब्द हैं
एक है “हरि कृपा”।
और
दूसरा है “हरि इच्छा”।
यदि अपने मन के अनुकूल है तो समझ लीजिए कि “हरि-कृपा”
और
जब मन के अनुकूल न हो तो “हरि-इच्छा”
.. जय श्री कृष्ण ????
शुभ रात्रि जी???
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