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जय श्री राधेश्याम जी
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मन मंदिर मे बैठाकर तुझे,
नित भाव की गंगा बहा दूँ…।
कुछ और देने को नही साँवरिया बस भावों का भोग लगा दूँ…।।
तेरी मोहनी सूरत को साँवरिया इस दिल मे बसा लूँ…।
और जीवन को तेरे नाम के फूलो से सजा दूँ…।
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॥जय श्री श्याम जी॥
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मन मंदिर मे बैठाकर तुझे
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