मुझे तैरने दे या फिर बहना सिखा दे

¸.•””•.¸
Զเधे Զเधे जी…….
“मुझे तैरने दे या
फिर बहना सिखा दे,
अपनी रजा में
अब तू रहना सिखा दे,
मुझे शिकवा ना हो
कभी भी किसी से,
ऐ कुदरत…
मुझे सुख और
दुख के पार
जीना सिखा दे…
“मेरा मजहब तो
ये दो हथेलियाँ बताती है…
जुड़े तो “पूजा”
खुले तो “दुआ”
कहलाती हैं…?
? * जय श्री कृष्ण* ?


by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *