मेरा भी खाता खोल दो “महाकाल” अपने दरबार में
आता रहूँ निरंतर लेन – देन के व्यापार में
मेरे कर्मो के मूल पर आपके दर्शन का ब्याज लगा देना
जो ना चुका पाऊँ उधार तो अपना सेवादार बना देना
???जय महाकाल ???
मेरा भी खाता खोल दो “महाकाल” अपने दरबार में
आता रहूँ निरंतर लेन – देन के व्यापार में
मेरे कर्मो के मूल पर आपके दर्शन का ब्याज लगा देना
जो ना चुका पाऊँ उधार तो अपना सेवादार बना देना
???जय महाकाल ???
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