मै भले ही वो काम नहीं
करता, जिससे भगवान
मिले…..
पर वो काम जरुर करता
हूँ जिससे दुआ मिले ।
इन्सानियत दिल में होती
है, हैसियत में नहीं…..
ऊपर वाला केवल ‘कर्म’
देखता है वसीयत नहीं !!!
?सुप्रभात?
मै भले ही वो काम नहीं
करता, जिससे भगवान
मिले…..
पर वो काम जरुर करता
हूँ जिससे दुआ मिले ।
इन्सानियत दिल में होती
है, हैसियत में नहीं…..
ऊपर वाला केवल ‘कर्म’
देखता है वसीयत नहीं !!!
?सुप्रभात?
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