सुख हो, दुःख हो, अगर साथ वो, फर्क नहीं पड़नेवाला,
सारे खेल की वो धुरी है, वो ही प्रारब्ध घड़नेवाला।
हम केवल उसकी कठपुतली, वो नित खेल रचानेवाला,
सांस सांस गंगा सी बहती, श्याम तुम्हारी मधुशाला।??Զเधे_Զเधे??
??सुप्रभात_जी ??
सुख हो, दुःख हो, अगर साथ वो, फर्क नहीं पड़नेवाला,
सारे खेल की वो धुरी है, वो ही प्रारब्ध घड़नेवाला।
हम केवल उसकी कठपुतली, वो नित खेल रचानेवाला,
सांस सांस गंगा सी बहती, श्याम तुम्हारी मधुशाला।??Զเधे_Զเधे??
??सुप्रभात_जी ??
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