हरि हरि छांडके दूसरी न कीजे बात।
एक एक घड़ी करोड़न की जात है।।
घड़ी पल दिन खोय फेरहू न आवे
सोय क्षणभंगुर देह ताकी मरणसी घातहै।।
हरि को संभार तु बकवो बिसार डार
तज अमृत विष काहे को तू खात है।।
कहे हरिदास श्वासं को विश्वास नहीं
एक एक घड़ी में निकस निकस जात है।।⚡
?जय श्री हरि ?
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