हो सके तो मुस्कुराहट बाँटिये
रिश्तों में कुछ सरसराहट बाँटिये!
नीरस सी हो चली है ज़िन्दगी बहुत,
थोड़ी सी इसमें शरारत बाँटिये!
सब यूँ ही भाग रहे हैं परछाइयों के पीछे,
अब सुकून की कोई इबादत बाँटिये!
ज़िन्दगी यूँ ही न बीत जाये गिले शिकवों मे
बेचैनियों को कुछ तो राहत बाँटिये.!!!
? सुप्रभात?
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