दुःख में स्वयं की एक अंगुली

दुःख में स्वयं की एक अंगुली
आंसू पोंछती है ;
और सुख में दसो अंगुलियाँ
ताली बजाती है ;
जब स्वयं का शरीर ही ऐसा
करता है तो
दुनिया से क्या गिला-शिकवा
करना…!!
अतः
हँसते रहिये, हँसाते रहिये
और
सबका भला करते रहिये..!!

सुप्रभातम
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