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हे प्रभो !
अब ऐसी कृपा कीजिये कि मेरी वाणी केवल तुम्हारा ही गुणगान करें,
मेरे हाथ तुम्ही को प्रणाम करें,
मेरे नेत्र सर्वत्र तुम्हे देखें,
मेरे कान तुम्हारें ही गुणों को सुनें,
मेरे चित्त के द्वारा तुम्हारा ही चिंतन हो और…
मेरे हृदय को तुम्हारा ही स्पर्श प्राप्त हो …
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जय श्री राधे कृष्णा जी???
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