कान्हा ….!!सुनो !!
मेरे पास
तुम्हे देने के लिये कुछ नही है
सिवाय अहसासों के
फिर भी
एक चाह है मन में
एक दिन
मैं तुम्हे अपना सब कुछ देकर
“निःशेष” हो जाऊं,…
मेरे पास
तुम्हे कहने के लिए कुछ नही है
सिवाय प्रेम के
फिर भी
एक चाह है मन में
एक दिन
मैं तुम्हे सबकुछ कहकर
“निःशब्द” हो जाऊं,..
मेरे पास
जब कुछ भी नही हो जो मेरा हो
सिवाय समर्पण के
तब एक चाह है मन में
एक दिन रहना है मुझे ऐेसे
“मैं” रहूं
पर
खुद में “मैं” रह न जाऊं,!!????
???जय श्री कृष्णा???
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