“एक दिन चाँद से की थी गुजारिश हमने।
“मेरा “गोविंद” से करवाओ मुलाकात कभी।
“चाँद भी मुस्कुरा कर टाल गया।
“कहा मत कर शर्मिंदा अभी।
“तेरे “गोविंद”को देख कर;
“फिर ना कभी चमक पाऊँगा।
“रौशनी तेरे “गोविंद” की है कुछ अलग।
“शायद मैं खुद ही खो जाऊंगा।
????”जय श्री कृष्णा”????
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