ऐसा चीर बना दे मोहन।
लाज ढकूँ हर नारी की।।
बनूँ सुदामाजी के तन्दुल।
भूख हरूँ बनवारी की।।
बाँस बना दे मुझको गोविन्द।
मुरली बन तेरे कर आऊँ।।
छूकर अधर तुम्हारे मोहन।
राधा जी के मनको भाऊँ।।
सुध बुध खो कर साथ में तेरे।
तीन लोक के दर्शन पाऊ ।।
???जय श्री कृष्णा???
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