श्री साँवरिया….!
जब जब भी दीदार मैं आपका करता हूँ
तब तब न जाने क्यों आंखे ये भर आती है
जब भी महसूस करता हूँ कभी खुद को अकेला,
तो तेरी अद्वितीय छवि सहारा अनमोल दे जाती है..
जय
?श्री साँवरिया…….!??कान्हा प्रभात मंगलम?्? राधे राधे जी?
जब जब भी दीदार मैं आपका करता हूँ
by
Tags:
Leave a Reply