?जय श्री श्याम?
शीश के दानी को बारम्बार नमन….
क्या करूँ मैं बाबा तुझसे हटता नहीं मेरा मन….
हारे का तुम सहारा हो….
कश्ती का तुम किनारा हो….
जिस भाव से पूजों , उस रंग में मिल जाते हो….
अपने भक्तों का सुना है , साथ खूब निभाते हो….
मुझको को चरणों मे अपनी जगह दे दो….
साँसों को चलने की वजह दे दो….
छुटा हर साथ ….बस आस तुम हो….
इतना तो बता दो….श्याम क्या पास तुम हो….?❣
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