“छाएँ काली घटाएँ तो क्या…
उसकी छतरी के नीचे हूँ मैं …..
आगे आगे ये चलता मेरे…
अपने मालिक के पीछे हूँ मैं…..
जब तूने पकड़ा मेरा हाथ है….
तो फिर डरने की क्या बात है….
साँवरा जब हमारे साथ है तो
बोलो डरने की क्या बात है…”
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जय जय श्री श्याम?
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