अपनी “आदतों” के अनुसार चलने में,
इतनी “गलतियां” नहीं होती
जितना “दुनिया” का ख्याल और,
“लिहाज़” रखकर चलने में होती है
?? सुप्रभात ??
अपनी “आदतों” के अनुसार चलने में,
इतनी “गलतियां” नहीं होती
जितना “दुनिया” का ख्याल और,
“लिहाज़” रखकर चलने में होती है
?? सुप्रभात ??
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