जाने कभी गुलाब लगती है

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जाने कभी गुलाब लगती है
जाने कभी शबाब लगती है

तेरी आखें ही हमें बहारों का
ख्बाब लगती है

मै पिए रहू या न पिए रहू,
लड़खड़ाकर ही चलता हू

क्योकि तेरी गली कि हवा
भी मुझे शराब लगती है ⚡

?बोलिये बांके बिहारी लाल की जय ?

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