खोली है खिड़की श्याम ने नसीब की…
बिन मांगे भर गई है झोली गरीब की…
ठोकर जो मारे दुनिया…तो भी परवाह न करना…
जब हो गयी हो यारी…श्याम से करीब की…??
?जय श्री श्याम?
खोली है खिड़की श्याम ने नसीब की…
बिन मांगे भर गई है झोली गरीब की…
ठोकर जो मारे दुनिया…तो भी परवाह न करना…
जब हो गयी हो यारी…श्याम से करीब की…??
?जय श्री श्याम?
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