नवरात्रे नहीं है ये,
जीवन को पावन करने का
सुनहरा अवसर है,
माँ के चरणों में
जाने को मन आतुर है।
चाहे हो राजा,या हो रंक,
बस चले आओ जयकारा लगाते हुए,
अम्बे देती है सबको शरण।
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नवरात्रे नहीं है ये,
जीवन को पावन करने का
सुनहरा अवसर है,
माँ के चरणों में
जाने को मन आतुर है।
चाहे हो राजा,या हो रंक,
बस चले आओ जयकारा लगाते हुए,
अम्बे देती है सबको शरण।
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