रिश्ते अंकुरित होते हैं प्रेम से
जिंदा रहते हैं संवाद से
महसूस होते हैं संवेदनाओं से
जिये जाते हैं दिल से
मुरझा जाते हैं गलत फहमियों से
और बिखर जाते हैं अंहकार से।
रूह पर भी, दाग़ आ जाता है…..!!
जब दिलों में, दिमाग़ आ जाता है…..!!
मेरी इबादतों को ऐसे कर कबूल ऐ मेरे
सद्गुरुवर,
के सजदे में मैं झुकूं तो मुझसे जुड़े हर
रिश्ते की जिंदगी संवर जाए?
?….!!# राधेयय्य्य राधेयय्य्य्य जी#!!….?
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