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राम कीन्ह चाहहिं सोइ होई।
करै अन्यथा अस नहिं कोई॥
संभु बचन मुनि मन नहिं भाए।
तब बिरंचि के लोक सिधाए॥
राम जो करना चाहते हैं, वही होता है,
ऐसा कोई नहीं जो उसके विरुद्ध कर सके।
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राम कीन्ह चाहहिं सोइ होई।
करै अन्यथा अस नहिं कोई॥
संभु बचन मुनि मन नहिं भाए।
तब बिरंचि के लोक सिधाए॥
राम जो करना चाहते हैं, वही होता है,
ऐसा कोई नहीं जो उसके विरुद्ध कर सके।
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