हर बार शरीर में,“विटामिन”
ही घटता हो, यह कोई
आवश्यक नहीं है !
कभी “व्यक्तित्व” की भी,
जांच करवाकर देखें,
क्या पता “मानवता” भी घट रही हो?
उस सुख की इच्छा कभी न करो
जो भगवान को भुलादे और उस
दुःख का स्वागत करो,जो ईश्वर
का स्मरण कराए–
सुख के माथे सिल पड़े,
जो नाम हृदय से जाय।
बलिहारी वा दुःख की,
जो छिन छिन राम रटाय।।
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवाय!
*༺꧁ *Զเधॆ Զเधॆ꧂༻*
*? *जय श्री कृष्णा* ?
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