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हेप्रभु
हमें कहने दो
हम कुछ भी नहीं
तुम्हारी कृपा बिना
दर दर भटकते थे
कोई पहचान ना थी
हमारे लिए किसी के
दिल मे सम्मान ना थी
कितने सतकर्म किये
पर खुद ही से
कोई आस ना थी
सामने अमृत था
पर प्यास ना थी
क्योंकि तुमसे हमारी
मुलाकात ना थी
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