पलकें उठाके साँवरे, इक बार देखलो,
आँखों से मेरे बह रही, वो धार देखलो ।।
दाता तेरे जहान की, रफ्तार है बड़ी,
किस्मत हमारी क्यूँ भला, रूठी हुई पड़ी,
पिछड़ा हूँ मैं जमाने से, दातार देखलो ।।
आँखों से मेरे बह रही, वो धार….
बदला है तूने जीत में, कितनों की हार को,
कश्ती हमारी फिर बता, कैसे ना पार हो,
थामा है तूने हाथ को, हर बार देखलो ।।
आँखों से मेरे बह रही, वो धार….
हारा हुआ गरीब हूँ, हारे के साथी सुन,
बदलेंगे तेरे द्वार पे, मेरे द्वार के भी दिन,
सन्मुख खड़ा हूँ आपके, सरकार देखलो ।।
आँखों से मेरे बह रही, वो धार….
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