Mindblown: a blog about philosophy.
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इंसान जब हथेली की रेखाओं में
इंसान जब हथेली की रेखाओं में भविष्य ढूंढने लगे…, तब समझ लेना कि, उसकी बाजुओं में ताकत, और मन में विश्वास खत्म हो गया है… सुख, शांति एवं समृद्धि की मंगलकामना के साथ सुबह की ?राम राम?
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सच्चे और शुभचिंतक लोग
?? *सच्चे और शुभचिंतक लोग..* *हमारे जीवन में…* *सितारों की तरह होते है…!!* *वो चमकते तो सदैव ही रहते है,* *परंतु…दिखायी तभी देते है,* *जब अंधकार छा जाता है.* ? *शुभप्रभात* ??
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धरती पर स्वर्ग का आनंद खाटू धाम में हैं
*धरती पर स्वर्ग का आनंद खाटू धाम में हैं.!* *और जो दुर्भाग्य को भाग्य में बदल दे….* *वो शक्ति बाबा श्याम में है।।* *????जय श्री श्याम ????*
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गुरु और समुद्र दोनो ही गहरे है
*गुरु* और *समुद्र* दोंनो ही *गहरे* हैं – – पर दोनों की गहराई में *एक* फर्क है .. *समुद्र* की गहराई में इंसान *डूब* जाता है.. और – – – *गुरु* की गहराई में इंसान *तर* जाता है .. शुभप्रभात।।
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खाली दामन भी भर देता है
खाली दामन भी भर देता है, हर मुराद भी पूरी कर देता है। जब देने पर आते है “साई” जी तो, लिखा तकदीर का भी बदल देता है।। ??ऊँ साई राम जी ??
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अच्छे लोगों की इज्जत
??????????? अच्छे लोगों की इज्जत कभी कम नहीं होती सोने के सौ टुकड़े करो, फिर भी कीमत कम नहीं होती। भूल होना “प्रकृत्ति” है, मान लेना “संस्कृति” है, और उसे सुधार लेना “प्रगति” है. ? राधे राधे? Good Morning ???????????
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फूल कभी दोबारा नहीं खिलता
?फूल कभी दोबारा नहीं खिलता? यह जन्म बार-बार नहीं मिलता, जिंदगी मैं तो मिल जाते हैं हजारों लोग, दिल से चाहने वाला मेरा श्याम बार-बार नहीं मिलता। ???श्री राधे श्याम जब कोई चिंता सताये स्मरण करो, जब व्याकुल मन घबराये स्मरण करो, जबकोई राह नजर ना आये स्मरण करो, जब बात समझ में ना आये…
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सुख और दुख में कोई ज्यादा भेद नहीं
*सुख और दुख में,* *कोई ज्यादा भेद नहीं……!* *जिसे मन स्वीकारें,* *वह सुख और जिसे…….!* *अस्वीकारें वह दुख…….!!* *सारा खेल हमारी,* *स्वीकृति और अस्वीकृति……!* *का ही तो है……….!!!* ✍✍ *शुप्रभात*??
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हित चाहने वाला पराया भी अपना है
हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है। शुभ रात्री
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कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर
कोई वादा ना कर कोई इरादा ना कर ख्वाहिशों में खुद को आधा ना कर ये देगी उतना ही जितना लिख दिया है रब ने इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर जिन्दगी की हर सुबह??? कुछ शर्ते लेके आती है और जिन्दगी की हर शाम *कुछ तर्जुबे देके जाती है ?सु्प्रभात?
Got any book recommendations?