Mindblown: a blog about philosophy.
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तलब बुझती नही अंखियो से
साँवरे….?? तलब बुझती नही अंखियो से …………!! सनम तेरे दीदार की…..* बडी मासूम सी मोहब्बत हेेै ………….!!!! यारो मेरे यार की………* ??जय श्री कृष्णा??
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यूँ ख़यालों में खो गई
साँवरे … यूँ ख़यालों में खो गई मैं खुद से गुमसुदा हो गई जरा तुम भी ढूंढ लेना “साँवरिया” कहीं तुम में तो नहीं गुम हो गई !!! ??जय श्री राधे कृष्णा??
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बाहो मे छूपा के रखू आपको
हे मेरे राधे कृष्ण..?? ? बाहो मे छूपा के रखू आपको.. ? सीने से लगा के रखू आपको.. ? आओं कभी आप ख्वाबो मे मेरे.. ? ओर मै ख्वाबो मे सजा के रखू आपको.. ? जो होती नहीं कभी खत्म मोहब्बत.. ? वही मोहब्बत बना के रखू आपको. ??जय श्री राधे कृष्णा??
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रोज नित नये रूप में संवरते हो
? रोज नित नये रूप में संवरते हो.. ? क्या कहूँ आप कितने प्यारे लगते हो.. ? नजरे नही हटती आपके रूप से.. ? मेरे तो दिल में आप ही बसते हो.. ?? बाल गोपाल की जय ??
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मिली तुम्हारे प्यार की
श्री राधे . . . .? ❤ मिली तुम्हारे प्यार की,जिस दिन से सौगात.. ❤ सोने जैसे दिन हुए , चांदी जैसी रात.. ❤ राधे तुम्हरे रूप में, बसते चारों धाम, ❤ तुम्हीं बरसाने की सुबह, तुम्हीं वृदांवन की शाम…! जय श्री राधे . . . . .✍?
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कैसे बयान करू अल्फ़ाज़ नहीं है
साँवरिया ??? कैसे बयान करू ..अल्फ़ाज़ नहीं है, दर्द का मेरे ..तुझे एहसास नहीं है…. पूछते हो मुझसे ..क्या दर्द है तुझे? दर्द यह है के ..तू मेरे पास नहीं है… तुम कभी आकर देख लो…मेरे श्याम मेरी आखो मै भी तुम्हारी तस्वीर के आगे ..कोई नजारा नही खो गये तेरे इश्क मै इस कदर…
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गुनाह गिन के मैं अपने दिल
गुनाह गिन के मैं अपने दिल को क्युं छोटा करूँ…. ….सुना है तेरे करम का कोई हिसाब नहीं जय श्री कृष्णा समय जब निर्णय करता है तब गवाहों की जरूरत नहीं होती हैं साहब……….!!!!! ??✍ अकेले ही लड़नी पड़ती है…. जिंदगी की लड़ाई………….. क्योकि, लोग तसल्ली देते है…. साथ नही….. ?
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सुनो साँवरे मोहन
?!!.सुनो साँवरे..मोहन..✍ तुम्हें भूल जाने की कसम खाते तो है….!..? …?गोविँद…..! मग़र पहले याद आती है फ़िर ?आँसू आते है.. औऱ फिर इरादे टूट जाते है ?गोविँद..?* ?!.श्री राधे राधे जी.!?
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देता हरदम सांवरे तू हारे का
देता हरदम सांवरे तू हारे का साथ मैं भी जग से हार के आया थाम ले मेरा हाथ हर कदम पर क्यों भला मैं मत खाता हूँ जितना चाहूँ मगर मै हार जाता हूँ बिन बोले अब कोन सुने मेरे दिल की बात मैं भी जग सेहार के आया थाम ले मेरा हाथ रो रही…
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इन्सान मायुस इसलिए होता है
“इन्सान मायुस इसलिए होता है, क्योंकि वह परमात्मा को राजी करने के बजाय लोगों को राजी करने में लगा रहता है, इन्सान यह भूल जाता है, कि रब राजी तो सब राजी।” ?☘? जय श्री कृष्णा जी?☘?
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