Mindblown: a blog about philosophy.

  • नोबत शंख नगाड़ा बाजे

    नोबत शंख नगाड़ा बाजे, तोरण झूले माँ द्वार, शिखर वृन्द ध्वजा फरुके, थारी जय हो झुनझुनु की सरकार।। ?जय माँ की?

  • माँ तेरे आँचल की छाया तले

    जय माँ की??? ?????माँ तेरे आँचल की छाया तले, निभ रही है ये ज़िन्दगी …… तुम जैसे रखो ये तुम्हारी मर्ज़ी है मावड़ी ….. बस एक विनती है मेरी ये तुमसे ….. हर पल साथ खड़ी रहना हमारे ……. ??जय माँ की??

  • सूरत देखी तेरी तो

    ?मेरे साँवरिया? सूरत देखी तेरी तो जादू सा छा गया……………… मुस्कुराना तेरा “श्याम” गजब सा ढा गया……………… नजर से नजर “श्याम” तुमसे जो मिलाई………………. तुझे दिल मे बसाने का बस मजा आ गया……………….. ?जय श्री राधे राधे जी? ?कान्हा रात्रि मंगलम?

  • जमाने से नही हम तन्हाई

    ?ओ माँ ,,!!? जमाने से नही हम तन्हाई से डरते है, प्यार से नही हम रुसवाई से डरते है दिल मे उमंग है तुझसे मिलने की, पर मिलने के बाद आने वाली तेरी जुदाई से डरते है!!??? !! झुंझनू वाली माँ !! ??!!जय माँ की !!??

  • कंचन महल उन्हें दे माँ

    कंचन महल उन्हें दे माँ, जिनके छत की आस नहीं.. मैं चूनड़ की छांव में राजी चाहे, कुछ भी पास नहीं .. ??? *जय माँ की???

  • माँ तेरे आँचल की छाया तले

    जय माँ की??? ?????माँ तेरे आँचल की छाया तले , निभ रही है ये ज़िन्दगी …… तुम जैसे रखो ये तुम्हारी मर्ज़ी है मावड़ी ….. बस एक विनती है मेरी ये तुमसे ….. हर पल साथ खड़ी रहना हमारे ……. ??जय माँ की??

  • बात मन के भावों को लिखने का था

    .राधे,,,,???? बात मन के भावों को लिखने का था प्रेम लिखा..प्रीत लिखा..इश्क़ लिखा..??❣? मोहब्बत लिखा.प्यार लिखा..चाहत लिखी.???? फ़िर लगा दो अक्षर ही काफ़ी थे मन की बात लिखने को???❣ फ़िर मैंने… सब कुछ मिटाकर लिख दिया……. सिर्फ तुम……कान्हा???❣

  • कोई ऐसी सेवा सौंप दो मुझे श्याम

    ????????? कोई ऐसी सेवा सौंप दो मुझे श्याम, जिसको मैं निभा सकूं। हर मोड़ पर मिले आप और, मैं सिर झुका सकूं ! उस राह पे मुझको जाना है, जिस राह पे मुझको श्याम मिलें कुछ मिले या ना मिले बस, उनकी सेवा का मुझे काम मिले ?? जय श्री श्याम??

  • हँसते हुये चेहरों का अर्थ ये नही कि

    हँसते हुये चेहरों का अर्थ ये नही कि उनके जीवन मै दुख नहीं है, बल्कि ईश्वर ने उनको परिस्थितियों को सँभालने की क्षमता प्रदान की है । ??शुभ संध्या??

  • विचार एक जल की तरह है

    ☂?☂जय श्री राधे कृष्णा ☂?☂ “विचार” एक “जल” की तरह है, आप उसमें “गंदगी” मिला दो तो वह “नाला” बन जाऐगा, अगर उसमें “सुगंध” मिला दो तो वह “गंगाजल” बन जाऐगा कभी घमंड न करना जिन्दगी मे तकदीर बदलती रहती है,ilil शीशा वही रहता है, बस तस्वीर बदलती रहती है!!! सदैव प्रसन्न रहें और हँसते…

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