Mindblown: a blog about philosophy.

  • जब कोई इंसान इस दुनिया से

    जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े, उसका बिस्तर, उसके द्वारा इस्तेमाल किया हुआ सभी सामान उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते है। पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत. प्रोपर्टी, उसका घर, उसका पैसा, उसके जवाहरात आदि, इन सबको क्यों नही छोड़ते? बल्कि उन…

  • पर्स को कहाँ मालूम पैसे उधार के हैं

    ✍ पर्स को कहाँ मालूम पैसे उधार के हैं.. वो तो बस फूला ही रहता है अपने गुमान में… ठीक यह ही हाल हमारा है साँसे उस प्रभु की उधार दी हुई है। पर ना जाने गुमान किस बात पर है ?? शुभ प्रभात?

  • राम राम क्यों कहा जाता है?

    राम राम क्यों कहा जाता है?? क्या कभी सोचा है कि बहुत से लोग जब एक दूसरे से मिलते हैं तो आपस में एक दूसरे को दो बार ही “राम राम” क्यों बोलते हैं ? एक बार या तीन बार क्यों नही बोलते ? दो बार “राम राम” बोलने के पीछे बड़ा गूढ़ रहस्य है…

  • मैं शिव हूँ केवल शिव हूँ

    मैं शिव हूँ केवल , शिव हूँ , शिव…? मैं विकारों से रहित , विकल्पों से रहित , निराकार , परम एश्वर्य युक्त , सर्वदा यत्किंच सभी में सर्वत्र , समान रूप में ब्याप्त हूँ , मैं ईक्षा रहित , सर्व संपन्न , जन्म -मुक्ति से परे , सच्चिदानंद स्वरुप कल्याणकारी.. शिव हूँ केवल शिव…

  • खोली है खिड़की श्याम ने नसीब की

    ???जय श्री श्याम ??? खोली है खिड़की श्याम ने नसीब की… बिन मांगे भर गई है झोली गरीब की… ठोकर जो मारे दुनिया… तो भी परवाह न करना… जब हो गयी हो यारी… श्याम से करीब की… ???जय श्री श्याम ???

  • निगाहों से तुम्हारे दिल का एक

    कन्हैया…..निगाहों से तुम्हारे दिल का एक….. पैगाम लिख दूं…!!!? मुहब्बत वफ़ा का खुशनुमा अजांम… लिख दूँ ..!!!!? मेरे लबों पर तुम गज़ल बन के… चले आओ…!!! सातों जनम दिल की धड़कनें तेरे नाम… लिख दूं..!!? मेरे कान्हा……? मन मंदिर मे बैठाकर तुझे, नित भाव की गंगा बहा दूँ…।? कुछ और देने को नही साँवरिया, बस…

  • आँखों में आँसू है मेरे

    हे साँवरे आँखों में आँसू है मेरे, चरण धुलाने आया हूँ हाथों की ये बंद लकीरें, इन्हें ख़ुलाने आया हूँ मारा मारा घूम घूम कर, तेरी शरण में आया हूँ भावो के ये पुष्प साँवरिया, तुम्हे चढाने आया हूँ… ?जय श्री श्याम?

  • ले चल अपने साथ सांवरिया

    ले चल अपने साथ सांवरिया… ये दुनिया ना मेरी है बना जिस्म तो मिट्टी का मगर रूह ये तेरी है तेरे बिन कोई नहीं ज़िन्दगी हर इक साँस अधूरी है अब तो आजा मेरे सांवरिया.. मिलना तेरा जरूरी है तू मुझसे तो दूर नहीं है मेरी ही मगरूरी है मेरी मेरी मिटा दे सांवरिया.. फिर…

  • मूर्ति मे तुझे क्या देखूं

    ?हे बांकेबिहारी…? ?मूर्ति मे तुझे क्या देखूं, तू नूर बनकर नैनो मे समाया है…? ?अब जिधर देखता हूं प्यारे, उधर तूने अपना रुप बनाया है…? ?इस आशिकी को कौन समझे, जग ने बहुत ठुकराया है…? ?पर गम नही किसी के रुठ जाने का, क्योकि मेरे सांवरे ने मुझे अपनाया है.? ?!! जय श्री कृष्णा !!…

  • सांस रुक जाए मगर

    ????? सांस रुक जाए मगर आंखे कभी बंद न् हो , मौत आये तो भी तुझे देखने की जीद खत्म न हो मेरी मैया तेरा दर्शन कर , अनमोल खजाना पाया है , तेरी सुरत मे तो तीनो लोक समाया है ?जय माता दी ?

Got any book recommendations?