बहुत दिन तक उनको

बहुत दिन तक उनको पुकारा न ली खबर मुझ बिरहन की
अब आवन की आस जगी है सांवलिया साजन की

आया है संदेश पिया का बुहार करूं घर आंगन की
जो वो आवें नज़र उतारू सांवरी सलौनी सूरत की

तन मन मेरा उन पर वारू सुध बुध भूल जाऊं जग की
बार बार मैं उनको निहारू प्यास बुझाऊं नैनन की

ऐ री सखी मै बाट निहारूं साजन की…??

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