सुबह की “चाय” और बड़ों की “राय”
समय-समय पर लेते रहना चाहिए…..
पानी के बिना , नदी बेकार है
अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।
पैसा न हो तो, पोकेट बेकार है।
और जीवन में गुरु न हो
तो जीवन बेकार है।
इसलिए जीवन में
“गुरु”जरुरी है।
“गुरुर” नही”
✍….
हँसते रहिये, हँसाते रहिये सभी का साथ, यूँ ही निभाते रहिये
? आपका दिन मंगलमय हो
?Good morning?
सुबह की चाय और बड़ों की राय
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