यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से

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यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से,
अब तक मगर है बाकी नामों निशाँ हमारा,
कुछ तो बात है की हस्ती मिटती नही हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौर ऐ जमां हमारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा,
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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One response to “यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से”

  1. JK Gupta Avatar
    JK Gupta

    हस्ती मिटी तो नहीं है लेकिन कितनी कम हो गई और यही हाल रहा तो मिटने में देर नहीं है। राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त के शब्दों में
    “ हम क्या थे, क्या हो गये,
    और क्या होंगे अभी,
    आओ मिलकर विचारें आज से समस्यायें सभी”

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